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लेखनी प्रतियोगिता -15-Sep-2022 मेरे अंदर का लेखक

हर इंसान के अंदर एक लेखक बैठा रहता है
किसी का जाग गया, किसी का सोया रहता है 
आसपास की घटनाओं से मन विचलित होता है 
दिल दिमाग फिर उन सबसे बहुत व्यथित होता है 
संवेदनशील मन जब प्रतिक्रिया करने लगता है 
तब कागज और कलम का संबंध बनने लगता है 
भावों को फिर शब्दों का आकार दिया जाता है 
ऐसा करने वाला ही तो यहां लेखक कहलाता है 
मेरे अंदर का लेखक भी लॉकडाउन में जाग गया 
"प्रतिलिपि" जैसा मंच मिला एक सुखद अहसास हुआ 
अब तो जैसे लेखन ही जीवन का बस आधार है 
कल्पनाओं की दुनिया है और शब्दों का संसार है 
गीत गजल या पैरोडी हो, कविताओं का भंडार हो 
हास्य व्यंग्य या लेख, डायरी, कहानियों का अंबार हो 
रसों का राजा है श्रंगार सबकी पहली चाहत है 
हास्य नहीं गर जीवन में तो ऐसा जीवन लानत है 
ममता , करुणा , दया भाव अच्छे इंसान के लक्षण हैं 
वीभत्स, भयावह , वीर रस भी साहित्य में विलक्षण हैं 
लेखन वही जो संदेश परक हो कोई राह दिखा जाये 
दिल को छूने वाला लेखन सबको ही ये मन भाये 
"जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ
कल्पनाओं के घोड़े पर कलम लेकर बैठ" 

श्री हरि 
15.9.22 


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14 Comments

Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 08:49 PM

Bahut khoob 💐👍

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Punam verma

16-Sep-2022 08:36 AM

Very nice

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Abhinav ji

16-Sep-2022 07:42 AM

Very nice👍

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